और कितने कैराना..?
- प्रशांत पोल
अलीगढ़. नाम लेते ही शहर का मुस्लिम मिज़ाज सामने आता हैं. कारण हैं, ‘अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी’. स्वतंत्रता के आन्दोलन के समय अलीगढ़ के छात्र ‘मुस्लिम लीग’ का साथ देते थे. मुस्लिम लीग की स्थापना ही अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से निकले छात्रों ने की थी. आज भी इस शहर पर खासा मुस्लिम प्रभाव देखा जा सकता हैं..!
सात लाख आबादी के इस शहर में एक मोहल्ला हैं, ‘बावरी मंडी’. लगभग पच्चीस हजार लोग यहाँ पर रहते हैं. हिन्दू, मुसलमान दोनों. लेकिन पिछले कुछ दिनों से ‘बावरी मंडी’, दूसरा ‘कैराना’ बनने जा रही हैं. यहाँ की हिन्दू आबादी बड़ी संख्या में ‘बावरी मंडी’ छोडकर जा रही हैं. कुछ अलीगढ़ के बाहरी हिस्सों में, तो कुछ अलीगढ़ शहर को ही छोड़कर जा रहे हैं.
कारण वही हैं, जो कैराना में था – गुंडागर्दी..! इलाके में दबंगों का आतंक हैं. रंगदारी टैक्स वसूल करना आम बात हैं. सरेआम छेड़खानी होती हैं. बुधवार, बीस जुलाई की रात को एक नवविवाहिता जब अपने पति के साथ बाइक पर जा रही थी, तब कुछ गुंडों ने उस महिला का पल्लू खिंचा. फिर गाडी रोककर उन गुंडों ने उसकी गर्दन पकड़ी और बालों को घसीटकर बाजू वाली सुनसान गली में ले गए. वो महिला खूब चिल्लाई, लेकिन कोई बचाने नहीं आया. उसके पति को उन गुंडों ने चाकुओं से गोद डाला..!
महिला ने रिपोर्ट लिखाने का प्रयास किया. उसने कहा की वह हमलावरों को पहचानती हैं. लेकिन शुरूआती दौर में पुलिस ने शिनाख्त परेड कराने से मना किया. लेकिन जब दुसरे दिन हिन्दुओं ने आंदोलन किया तो मुख्य आरोपी ‘नदीम’ पकड़ा गया.
अलीगढ़ की बावरी मंडी इस समय दहशत के साए में हैं. शाम को दुकाने बंद हो जाती हैं. सूरज ढलते ही साथ महिलाएं घर से बाहर निकलना बंद कर देती हैं. अनेक दुकानों / मकानों में ‘बिकाऊ हैं’ के बोर्ड लग गए हैं.
बावरा मंडी, कैराना, कंधाल और कश्मीर की राह पर चल निकली हैं..!
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कैराना और अलीगढ़ के बीच २०० किलोमीटर का अंतर हैं. लेकिन कंधाल तो कैराना से सटकर हैं. कुछ ही किलोमीटर के अंतर पर बसे इस गांव में मुस्लिम वोटर पच्चीस हजार तो हिन्दू वोटर महज नौ हजार रह गए हैं.
कैराना में मुकीम काला का आतंक था तो अलीगढ़ में नदीम की गैंग का..!
ऐसी ही दहशतगर्दी का माहौल खड़ा किया गया, दिल्ली के सुन्दरपुर क्षेत्र में, जहां हनुमान चालीसा का पाठ गुंडागर्दी कर, जबरन रुकवाया गया.
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इन सभी क्षेत्रों में पलायन का कारण बताया जा रहा हैं, गुंडागर्दी को, दहशतगर्दी को, दबंगई लोगों के आतंक को..! गुंडागर्दी या दहशतगर्दी का कोई धरम नहीं होता, ये बात तो सच हैं. लेकिन इन सभी स्थानों पर गुंडागर्दी करने वाले लोग मुसलमान ही क्यों हैं, इस का जवाब कौन देगा..?
क्या हिन्दुओं में गुंडे नहीं होते..?
होते हैं.
लेकिन जनसंख्या के अनुपात में किस धर्म के गुंडे ज्यादा हैं, इसका चित्र एक बार लोगों के सामने तो आ जाए..! क्या कभी आपने सुना हैं, की हिन्दुओं की गुंडागर्दी के कारण मुसलमानों को अपना घर-बार छोड़ना पडा..?
सामान्य आदमी झगडा-फसाद पसंद नहीं करता. हिन्दू तो ऐसी सारी चीजों से मीलों दूर रहता हैं. जहां झगडा होता हैं, दहशतगर्दी होती हैं, महिलाओं से छेड़खानी होती हैं... वहां से हिन्दू आबादी पहले भागती हैं...!
और बस यही हो रहा हैं, सारे देश में...
पहले सिंध, बलोचिस्तान, कश्मीर... अब कैराना, कंधला, सुन्दरपुरी, जबलपुर, अलीगढ़ ....
कहां, कहां तक भागेंगे हिन्दू..?
- प्रशांत पोल