आज अभी ‘डोलकुन इसा’ के बारे में समाचार पढ़ा, और बड़ा मजा आया. हमारा देश भी कुटनीतिक चाले चल सकता हैं, यह देखकर अच्छा लगा. भाजपा सरकार के आने से पहले तक तो ऐसी चीजे हम सपने में ही सोच सकते थे..!
ये ‘डोलकुन इसा’, चीन के ‘शिनजियांग उईघर स्वायत्त प्रदेश’ का, चीन द्वारा घोषित मुसलिम आतंकवादी हैं. शकल सूरत से लगता नहीं, पर चीन का मानना हैं, की वो आतंकवादी हैं. इसे भारत ने वीसा देने की आज घोषणा की. २८ अप्रैल से १ मई तक भारत के धर्मशाला में एक बृहद सम्मेलन का आयोजन किया गया हैं. इसमें, चीन से भगाए गए सारे प्रमुख नेता आयेंगे और ‘चीन में लोकतंत्र की स्थापना कैसी हो’, इस पर चिंतन मनन करेंगे. श्री दलाई लामा जी भी इसमें उद्बोधन देंगे.
जाहिर हैं, इन सबसे चीन क्रोधित होगा.. और तीस पर भारत ‘डोलकुन इसा’ को वीसा देकर बुला रहा हैं... चीन की त्यौरियां चढ़ना स्वाभाविक हैं..
क्योंकि शायद पहली बार चीन को इतना जबरदस्त उत्तर मिला हैं. अभी तक तो चीन अपने मन की करता आया था. उसे लगता था, ये डरपोक भारत कर कर के क्या करेगा..? दो चार चिट्ठी भेज देगा, विरोध की. बस्स..! इसलिए चीन ने पकिस्तान के साथ खूब पिंगे बढाई. भारत के विरोध में मदत की. भारत को घेरने की कोशिश की. लेकिन भारत की चुप्पी बनी रहती थी..!
नहीं. लेकिन अब नहीं.
पिछले सप्ताह चीन ने युनाइटेड नेशन्स में ‘मौलाना मसूद अजहर’ को आतंकवादी घोषित करने के भारत के प्रस्ताव के विरोध में अपना ‘व्हिटो’ लगा दिया. उसे लगा, भारत क्या करेगा..?
लेकिन यह बदला हुआ भारत हैं. हमारे रक्षा मंत्री श्री मनोहर पर्रीकर और रक्षा सलाहकार श्री अजित डोभाल के चीन प्रवास के दौरान ही भारत ने ‘डोकसुन इसा’ को भारत में व्हिसा देने का निर्णय लिया. इसे कहते हैं, समर्थ राष्ट्र की स्वयंभू विदेश निति..!
चीन के शिनजियांग-उईघर प्रान्त में १ करोड़ से ज्यादा मुसलिम रहते हैं, और वे स्वायत्तता की मांग कर रहे हैं. डोकसुन इसा उनके नेता हैं. सन १९९७ में चीन से पलायन कर चुके हैं. चीन के ‘वांटेड’ की सूचि में वे शीर्ष पर हैं. इंटरपोल ने उन पर ‘रेड कार्नर नोटिस’ जरी किया हैं. फिलहाल, सन २००७ से वे जर्मनी के नागरिक के रूप में ‘विश्व उईघर कांग्रेस’ के महासचिव का कार्य देख रहे हैं.
मसूद अजहर पर चीन के रवैय्ये का यह जबरदस्त दहला भारत ने मारा हैं... मुझे उत्कंठा हैं, चीनी शीर्ष नेताओं ने ‘लाल-पीले’ चेहरे देखने की..!!