आज नवीन वर्ष का पहला दिन.

कम से कम

आज के दिन तो

नकारात्मक समाचार नहीं पढूंगा

ऐसा सोचा था.

किन्तु आज के समाचार पत्रों में

पहले पृष्ठ पर

जो कुछ मैंने पढ़ा,

उससे मैं अन्दर तक हिल गया.

इसके बाद

अपने आप को

संस्कारधानी जबलपुर का

नागरिक कहलाने में

मैं

शर्म और झिझक महसूस कर रह हूँ..!

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कल शनिवार को भेडाघाट में

एक छोटीसी, मासूम

दस वर्षीय बच्ची के साथ

एक चौदह वर्षीय मवाली, गुंडे ने

दुराचार का प्रयास किया.

जब वो बिटिया भागने लगी,

तो मवाली ने उसके पांव में चाक़ू मारा.

और फिर

उस खून से लथपथ

मासूम बच्ची के साथ

बलात्कार किया..!

लड़की के पिता,

अपनी इस अभागी बिटिया को लेकर

जबलपुर के मेडिकल अस्पताल में आएं.

लड़की के सर और पांव पर

चाक़ू के चार बड़े घाव थे.

वहां से खून बह रहा था.

लेकिन मेडिकल के बेरहम डॉक्टरों ने,

और खुद

सी एम् ओ डॉ. सतीश अहिरवार ने,

उस बच्ची को

बिना मलहम पट्टी के

आठ किलोमीटर दूर

एल्गिन अस्पताल में जाने को कहा.

एल्गिन अस्पताल में डॉ. अर्चना ग्रोवर ड्यूटी पर थी.

एक महिला डॉक्टर.

लेकिन वहां भी

मलहम पट्टी किये बिना,

उस बेरहम महिला ने..

उस मासूम बिटिया को

विक्टोरिया अस्पताल में भेज दिया...!

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हिम्मत देखिये,

जबलपुर के इन

मेडिकल व्यवसाय में घुसे

राक्षसों की....

साथ में पुलिस होने के बाद भी

उस अभागी,

बलात्कारित, खून रिस रही बिटिया को

फ़ुटबाल के गेंद जैसे

यहां से वहां भगा रहे थे, वे..!

बाद में सी एस पी आए....

लेकिन

इन दुर्दांत, नरभक्षक डॉक्टरों के आगे

उनकी भी नहीं चली.

फिर एस पी ने फोन किया...

उस दुर्भागी बच्ची को

फिर मेडिकल ले जाया गया...

अंत में रात्री ११ बजे,

घटना के सात घंटे बाद

उस बिटिया को

मेडिकल सहायता मिली...!

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जबलपुर जैसे महानगर में,

नव वर्ष की पूर्व संध्या पर

मानवता शर्मसार हुई.

केंद्र और राज्य सरकार के

‘बेटी बचाओ, बेटी पढाओ’

अभियान की

मिट्टी पलीद हुई.

डॉक्टरी पेशे को,

कल इन डॉक्टरों ने कालिख पोत दी.

मेडिकल के सफ़ेद कोट में

ये काले डॉक्टर

इंसानी भेड़िये हैं.

इन पर जो कार्यवाही होगी,

वो होगी.

अपनी रसूख के चलते

ये सारे डॉक्टर

शायद निर्दोष छुट भी जाय...

किन्तु

उनकी इस असंवेदनशीलता को,

उनकी इस निर्ममता को,

उनके इस बहशीपन को,

उनकी इस उद्दंडता को,

एक ही सजा हैं –

इन डॉक्टरों का ‘सामाजिक बहिष्कार’.

जी हां.

जबलपुर वासियों,

आइये...

संस्कारधानी को इस कलंक से

कुछ हद तक बचाए..

ताकि कल फिर कोई डॉक्टर

इतना बेरहम न होने पाए..

हम सब मिलकर,

मेडिकल के सी एम् ओ,

डॉ. सतीश अहिरवार,

एल्गिन की डॉ. अर्चना ग्रोवर,

और इस बेशर्म प्रकरण में शामिल

उन तमाम लोगों का

सामाजिक बहिष्कार करे..!

इस असंवेदनशील मानसिकता को

हम नकारे..!

  • प्रशांत पोळ