- प्रशांत पोल
दिनांक २६ जून को जब सारा देश ईद की खुशियां मना रहा था, तब ‘दैनिक भास्कर’ ने अपने पहले पृष्ठ पर एक खबर छाप कर हिन्दुओं के साथ भद्दा मजाक किया..!
‘दैनिक भास्कर’ के २६ जून के सभी संस्करणों के पहले पृष्ठ पर सबसे ऊपर समाचार था, ‘सद्भाव और समानता की एक तस्वीर’. आगे लिखा था, ‘हिन्दू शैली के १५२ स्तंभों से बनी ५९४ वर्ष पुरानी मस्जिद, कमल जैसा हैं इसके गुंबद का आकार.’ समाचार अहमदाबाद के ‘जामा मस्जिद’ का था. साबरमती नदी के किनारे स्थित यह मस्जिद देश के सबसे खुबसूरत मस्जिदों में गिनी जाती हैं.
लेकिन यह मस्जिद प्राचीन हिन्दू और जैन मंदिरों के अवशेषों पर बनाई गयी हैं, जो हर कोई जानता हैं. पर्यटन के बारे में पूरे विश्व में सबसे अधिक विश्वसनीय माने जाने वाले ‘लोनली प्लेनेट’ ने लिखा हैं – ‘Built by Ahmed Shah in 1423, the Jama Masjid ranks as one of India’s most beautiful mosques. Demolished Hindu and Jain temples provided the building materials, and the mosque displays some architectural fusion with these religions, notably in the lotus-like carving of some domes, which are supported by the prayer hall’s 260 columns.’ (सन्दर्भ - https://www.lonelyplanet.com/india/ahmedabad-amdavad/attractions/jama-masjid/a/poi-sig/478370/356239)
मूलतः यह मस्जिद ‘भद्रकाली मंदिर’ को तोड़ कर बनाई गई हैं. सन १४११ में अहमद शाह ने गुजरात सूबे पर अपना कब्ज़ा किया और कर्णावती को अपनी राजधानी बनाने का निर्णय लिया. कर्णावती में उस समय साबरमती नदी के तट पर एक किला था, जिसे भद्रा नाम से जाना जाता था. इस किले के अहाते में भद्रकाली देवी का एक सुन्दर मंदिर था. इसी कारण किले का नाम भी भद्रा हुआ. बाद में अहमद शाह ने कर्णावती का नाम बदल कर अहमदाबाद किया और सन १४२३ में भद्रकाली देवी के मंदिर को ध्वस्त कर, उसे जामा मस्जिद बनाया गया. इसके काफी वर्षों बाद, जब गुजरात पर मराठों का शासन हुआ, तब उन्होंने इसी परिसर में एक भद्रकाली मंदिर बनाया, जो वर्तमान में आस्था का केंद्र हैं.
दुनिया के किसी भी मस्जिद में प्रार्थना स्थल पर खंबे नहीं होते, या बिलकुल कम होते हैं. प्रार्थना करने के लिए खुली जगह होती हैं. लेकिन यहाँ तो सैकड़ों खंबे (२६०) हैं. वह भी आकृतियाँ उकेरे हुए. इस्लाम में मूर्ती पूजा निषिध्द हैं. फिर प्रार्थना स्थल पर आकृतियों और मूर्तियों से भरे हुए इतने खंबे क्यों और कैसे..? इसके गुंबद पर कमल के फूल बने हैं, और गुंबद का आकार भी कमल जैसा ही हैं. भद्रकाली का अर्थ होता हैं – देवी लक्ष्मी. और लक्ष्मी को सबसे ज्यादा ज्यादा पसंद हैं, कमल के फूल. यहाँ खिडकियों पर ॐ के चिन्ह भी बने हैं. यह सब क्यों..? क्योंकि यह मूलतः मस्जिद थी ही नहीं. यह तो भद्रकाली मंदिर को ध्वस्त कर बनाई गयी मस्जिद हैं.
प्रसिध्द इतिहासकार स्व. पुरुषोत्तम नागेश ओक ने सप्रमाण सिद्ध किया हैं, की यह स्थान भद्रकाली मंदिर ही हैं. उन्होंने एक मजेदार किस्सा बयान किया हैं. साठ के दशक में इस तथाकथित मस्जिद के सामने एक दुकान थी – के. सी. ब्रदर्स (कान्तिचंद ब्रदर्स) के नाम से. दुकान के मालिक श्रीमान एम्. डी. शाह ने इस दुकान को गिराकर नयी दुकान बनाई, जिसका नक्शा अहमदाबाद म्युनिसिपल कारपोरेशन ने पारित किया. लेकिन दुकान के बनते ही साथ जामा मस्जिद के ट्रस्टीज ने एक नोटिस इन शाह साहब को भेजा, की आपका दुकान हमारे मस्जिद से उंचा बना हैं. अतः सबसे ऊपर की मंजिल आप गिरा दीजिये. श्रीमान शाह इस पर कुछ प्रतिक्रिया व्यक्त करते, उसके पहले अहमदाबाद नगर निगम ने भी सबसे उपर की मंजिल तोडने का नोटिस भेजा. इन सब बातों से परेशान शाह जी को किसी ने बताया की पु. ना. ओक जी के पास बहुत कुछ जानकारी हैं. एम्. डी. शाह, ओक साहब से मिले. उन्होंने बड़ा सरल उपाय बताया. उसके अनुसार के. सी. ब्रदर्स के वकीलों द्वारा एक नोटिस जामा मस्जिद के प्रबंधन को भेजा की ‘यह एक अपहृत हिन्दू मंदिर हैं, जिसे मस्जिद बनाया गया हैं. अतः उसपर मुसलमानों का कोई हक़ नहीं बनता. इसलिए के. सी. ब्रदर्स इस दुकान की उपरी मंजिल गिराने का प्रश्न ही नहीं उठता.’
यह उत्तर मिलते ही जामा मस्जिद प्रबंधन कमिटी ने अपना नोटिस वापिस लिया और उस दिन से आज तक शाह जी को एक भी नोटिस या पत्र मस्जिद कमिटी का नहीं आया हैं..!
यह अकेला उदाहरण नहीं हैं. अयोध्या के बाबरी ढांचे के नीचे से निकले मंदिर के अवशेष हम सब ने देखे हैं. क़ुतुब मीनार के नीचे दबे हुए मंदिर के अवशेष और गणेश मूर्ती आज भी देखे जा सकते हैं. ऐसे कितने ही मंदिर और मठ हैं, जिन्हें मुस्लिम आक्रान्ताओं ने मस्जिदों में बदल दिया.
किन्तु उन्हें ‘हिन्दू – मुसलमान सद्भावना का प्रतिक’ कहना यह हिन्दू आस्था के साथ भद्दा मजाक हैं. यह तो ऐसा हुआ की किसी निर्दोष, बलात्कारित महिला को उस बलात्कार से गर्भ ठहर कर उससे जो बच्चा पैदा हुआ हैं, उस बच्चे के बारे में यह कहना की ‘यह तो आपके कुल की शान हैं, कुल दीपक हैं’..!
प्रशांत पोल
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