मेरा बुखार...!
शनिवार, दिनांक ८ सितंबर को मुझे पुणे से डोंबिवली जाना था. पिछली रात से शरीर में बुखार था, साथ में खांसी भी. बिटिया मना कर रही थी. मेरा भी मन कर गया एक बार, की नहीं जाऊ. किन्तु जाना आवश्यक था. हिम्मत की. प्रातः साढ़े चार बजे उठकर मैं डोंबिवली गया. बुखार और खांसी के साथ मैंने वहां के सारे काम निपटाए. दुर्भाग्य से, ट्रेफिक जाम के कारण मेरी सह्याद्री एक्सप्रेस छुट गयी. फिर महालक्ष्मी लेकर रात्री में एक बजे के लगभग घर पर पहुंचा. कैसा, बस वो में ही जानता हूं.
रविवार का दिन तो मानो मैंने बेहोशी में ही बिताया. सुध-बुध बहुत ज्यादा नहीं थी. जबरदस्त बुखार था. लेकिन एक पक्का था, दवाई तो मैं मेरे जबलपुर के मित्र डॉ. नितिन अडगांवकर की ही लूंगा. सुमेधा ने डॉ से बात करके दवाई लिखवाई. पुणे के घर में अकेली बिटिया. लेकिन उसने मां की दृढ़ता और ममता से सेवा की.
अगले दो दिन बहुत ज्यादा कष्ट में बीते. लेटने की स्थिति से उठने की स्थिति में आना भी बहुत कठीन लग रहा था. शरीर की सारी शक्ति मानो छोड़ गयी हो. किन्तु धीरे धीरे दवाई काम कर रही थी. सोमवार की रात्री तक बुखार तो उतर गया था. धीरे धीरे शरीर में, खाने-पीने के कारण, ताकत भी आ रही थी. लेकिन एक नई मुसीबत, फिरसे चालु हो गयी. खांसी..!
मंगलवार उसी खांसी में गया. बस, मैं ख़ास ही रहा था. मैंने मुंह खोला, और खासी. बोलना, खाना-पीना, सोचना.. सब कुछ लगभग बंद. जबलपुर जाने की जल्दी थी. बिटिया ने हिम्मत दी. सुबह साढ़े तीन बजे प्रसेनजीत ने एअरपोर्ट पर छोड़ा. हैदराबाद होते हुए, हम कल दोपहर को जबलपुर पहुचे. डॉक्टर नितिन अडगांवकर को दिखाया. अभी तक तो उन्होंने फोन पर दवाई बताई थी. अब प्रत्यक्ष देख कर दवाई दी. कल रात से निश्चित आराम हैं...
मैंने डॉक्टर से इस बिमारी का नाम पूंछा. सब लोग इसे चिकन गुनिया जैसी बिमारी बता रहे थे. डॉक्टर ने बताया, इसे ‘लंगड़ा बुखार’ कहते हैं..! घर आकर मैंने इस ‘लंगडा बुखार’ की खोजबीन की. तो पता चला यह अधिकतर पशुओंमे होता हैं. जैसे गाय आदि...
तो यह मुझे क्यूँ हुआ..? मैं सोच में पड गया.
अचानक ध्यान में आया, इसका उत्तर तो मेरे नाम में हैं....
(मराठी में पोळ का अर्थ होता हैं – बैल....!)
इन चार – पाच दिनों में जिन्होंने भी मुझे फोन किये, मैं किसीका भी उत्तर नहीं दे सका. क्षमा चाहता हूं. अभी भी ठीक से बोलने की परिस्थिति में नहीं हूं. ठीक होते ही, उन सभी के कॉल लौटाऊँगा, जिन्होंने इन दिनों में फोन किये थे. क्षमस्व..!