अभी कुछ दिनों पहले मैंने फेसबुक पर एक प्रश्न डाला था – ‘मेरे दोनों बच्चे हिंदी माध्यम में पढ़े. आपके..?’ मुझे प्रसन्नता हुई, की अनेक मित्रों के बच्चे मातृभाषा में पढ़े हैं, या पढ़ रहे हैं.
यह बहुत महत्व का मुद्दा हैं, जो अक्सर हम लोग बाजू में रख देते हैं. हम हमारे बच्चों की, प्रत्येक, छोटी-मोटी चीजों की चिंता करते हैं. अच्छी से अच्छी चीजें उसे मिले इसका प्रयास करते हैं. लेकिन किसी भी बालक या बालिका के सर्वांगींण, सर्वतोपरी विकास के लिए आवश्यक मुलभुत बिंदु – ‘मातृभाषा में शिक्षा’... उसी की हम उपेक्षा करते हैं. दुनिया के तमाम शिक्षाविदों ने चिल्ला चिल्ला के कहा हैं की बच्चों की शिक्षा का माध्यम उसकी मातृभाषा, या राष्ट्रभाषा होना चाहियें. हमारे देश में तो सर्वोच्च न्यायालय ने भी यह प्रतिपादित किया हैं, की प्राथमिक / माध्यमिक शिक्षा मातृभाषा / राष्ट्रभाषा में ही होना चाहिए. किन्तु इसके बाद भी अंग्रेजों की गुलामी मानसिकता ने हमें ऐसा जकड लिया हैं, की हम जिद करके बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में ही पढ़ाते हैं, भले ही उस बच्चे का भविष्य बिगड़ जाए...!
अंग्रेजी से कोई बैर नहीं है. कोई दुश्मनी नहीं. भाषा के तौर पर अंग्रेजी आनी ही चाहिए. वह अंतर्राष्ट्रीय संपर्क भाषा हैं. इसके लिए बच्चों को बोलचाल की अंग्रेजी सिखाना ही चाहिए. पर केवल बोलचाल की भाषा के लिए उस बच्चे पर गणित, विज्ञान, इतिहास, भूगोल जैसे विषय अंग्रेजी में थोपना, यह कहां का न्याय हैं..? बच्चों को अपनी भाषा में विकसित होने दे... उनपर अंग्रेजी थोप कर, उनका विकास कुंठित ना करे..!
#मातृभाषा_दिवस