तितिक्षा..!


कल रात, सावरकर जयंती की पूर्व संध्या पर, मैं श्रध्देय अटल बिहारी बाजपेयी जी का वीर सावरकर पर दिया गया भाषण सुन रहा था. भाषण काफी पहले का था. सन १९८८ का, पुणे में दिया गया.

उस भाषण में अटलजी अपनी चिर – परिचित शैली में सावरकर जी का वर्णन कर रहे थे –

सावरकर याने दहकता अग्निकुंड..

सावरकर अर्थात क्रांतिकारियों के अग्रेसर..

सावरकर याने देशभक्ति की मिसाल...

सावरकर याने राष्ट्रभक्ति का अंगार...

सावरकर म्हणजे तिखट..

और बोलते बोलते अटलजी बोल गए –

सावरकर याने तितिक्षा..!

मैं ठिठक गया.

कितना सही, सुन्दर और सटीक वर्णन किया हैं सावरकर जी का..!

तितिक्षा... तितिक्षा याने सहनशीलता. कष्ट, दुःख, आघात, अपमान सहने की क्षमता..

वीर सावरकर जी जैसे महान देशभक्त को इस देश ने अनेकों बार अपमानित किया हैं..

किन्तु ‘सावरकर याने तितिक्षा..’

उन सभी अपमानों को पचाकर वीर सावरकर अपनी मातृभूमि की सेवा में, उसके चिंतन में अंत तक लगे रहे..!

ऐसे राष्ट्रपुरुष की १३३ वी जयंती पर श्रध्दापूर्वक नमन..!!

- प्रशांत पोल