अपने देश में इस प्रकार का यह पहला और अनूठा आयोजन हैं. ’राष्ट्र सर्वतोपरी’ इस विचार को मानने वाले राष्ट्रभक्तों के बीच यह शास्त्रार्थ होने जा रहा हैं. इस प्रकार के वैचारिक शास्त्रार्थ की अपने देश की प्राचीन परंपरा रही हैं. किन्तु अर्वाचीन काल का यह पहला ही आयोजन लगता हैं.