तकनिकी और आधुनिकता

  • प्रशांत पोळ

कल से दिल्ली में हूँ. Convergence India के कांफ्रेंस में हिस्सा लेने आया हूँ. Exhibition भी काफी बड़ी हैं. टेलिकॉम, IoT और ब्राडकास्टिंग पर अलग अलग समानांतर सत्र चल रहे हैं. IoT में बहुत कुछ हो रहा हैं और अगले एक / दो वर्षों में और अधिक होने वाला हैं. सारा संपर्क संचार, वायरलेस पर केन्द्रित हो रहा हैं. अपने देश में 5G आ रहा हैं....

कल टेलिकॉम के प्रारंभिक सत्र में एस्टोनिया की सूचना तकनिकी एवम् उद्यमिता मंत्री सुश्री उर्वे पालो ने जो कुछ कहा, उसे सुनकर भविष्य में हमारे लिए क्या रखा हैं, इसका चित्र सामने आया.

एस्टोनिया यह बाल्टिक देशों की श्रेणी में आता हैं. १९९१ में सोवियत संघ के विघटन के बाद बना हुआ देश. छोटासा हैं. मात्र १३ लाख जनसंख्या. फ़िनलैंड के पास हैं. सूरज के धूप को तरसने वाला देश हैं..!

किन्तु एस्टोनिया, दुनिया के सर्वाधिक प्रगत डिजिटल देशों की श्रेणी में आता हैं. वहां कागजों का चलन लगभग नहीं के बराबर हैं. सब कुछ डिजिटल प्रणाली से होता हैं. सुश्री उर्वे पालो ने बोलते हुए कहा की ‘अब तो मैं कागजों पर हस्ताक्षर भी वर्ष में एखाद बार ही करती हूँ. बाकी समय तो डिजिटल हस्ताक्षर चलते हैं.


सुश्री उर्वे पालो मंत्री हैं. दो, दो विभागों की मंत्री हैं. उन्हें अनेक आलेखों पर, दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने पड़ते होंगे. हस्ताक्षर, जो उनकी अपनी पहचान हैं..! वो हस्ताक्षर भी वें अब डिजिटल सिस्टम अर्थात, मशीन के माध्यम से कर रही हैं.

कितना अच्छा, कितना बुरा, मुझे नहीं मालूम. लेकिन तकनिकी अगर हमारी व्यक्तिगत अभिव्यक्ति रोकती हैं, तो तकनिकी के आधुनिकीकरण और परंपरागत कौशल के बीच संतुलन बनाना होगा. तकनिकी के आधुनिकीकरण से यदि हमारा लिखना, पढ़ना बंद होता हैं, तो वह तकनिकी आधुनिक हैं या हमारे इन्द्रियों की शक्ति को नष्ट करने वाला माध्यम हैं, इसका भी विचार करना पड़ेगा..!!

  • प्रशांत पोळ