देवेन्द्र की किशोरावस्था से मैं उन्हें जानता हूँ. मेरे विवाह में देवेन्द्र और उनकी उर्जावान टीम ने जिस प्रकार से समारोह में रौनक बनाएं रखी थी, वो मैंने देखी थी. विवाह समारोह में उनसे परिचय होने का ख़ास कोई कारण भी नहीं था. लेकिन जबरदस्त उत्साह से लबालब लड़कों का नेतृत्व वह कर रहे थे, यह मैंने देखा था. वे मेरे पत्नी, सुमेधा, के चचेरे भाई हैं. पारिवारिक तानाबाना अत्यधिक मजबूत हैं.
विवाह के बाद नागपुर जाने के कई मौके आए. देवेन्द्र से लगभग हर बार भेंट होती थी. उन दिनों के देवेन्द्र की प्रतिमा, मेरे मन-मष्तिष्क पर, एक नटखट और चुलबुले युवा के रूप में बनी हैं. हिंदुत्व पर प्रखर श्रध्दा, सतत कुछ नया करने की चाह तथा देश और समाज की परिस्थिति का आंकलन करते रहना, यह मैंने देवेन्द्र के स्वभाव में देखा हैं.
उन दिनों देवेन्द्र पहले विद्यार्थी परिषद् में और बाद में पढ़ाई समाप्त होने के पश्चात युवा मोर्चे में सक्रीय रहते थे. मेरे हर बार के प्रवास में उनसे कुछ नया सुनने को जरुर मिलता था. उनका नगरसेवक (पार्षद) से महापौर, महापौर से आमदार (विधायक), फिर भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष और बाद में मुख्यमंत्री तक का प्रवास मैंने देखा हैं..!
देवेन्द्र, महाराष्ट्र के पहले ‘मेयर-इन-काउंसिलिंग’ के महापौर हैं. उन्होंने महापौर के रहते अनेक नई कल्पनाएं प्रत्यक्ष में लाने का प्रयास किया. पानी की खोज में, सूखे पड़े कन्हान नदी में, अधिकारियों के साथ मीलों चलने वाले देवेन्द्र को भी मैंने देखा हैं..!
लगभग पंद्रह वर्ष पहले, कुछ ऐसा संयोग बन आया था, जब मैं और देवेन्द्र, दोनों अलग अलग कार्य से, किन्तु एक ही समय बर्लिन में थे. देवेन्द्र वहां महानगरीय व्यवस्थापन से संबंधित एक एडवांस कोर्स करने आये थे. उन दिनों शनिवार / रविवार को, बर्लिन की सड़कों पर हम खूब घूमते थे. देवेन्द्र में हमेशा एक बालक छुपा रहता हैं, जो उसे हरदम जिंदादिल बनाएं रखता हैं. ‘देवेन्द्र एक पारिवारिक व्यक्ति हैं’, यह पढकर अनेकों को आश्चर्य होगा. किन्तु यह सच हैं. परिवार के बच्चों के साथ देवेन्द्र जिस प्रकार से घुल-मिलकर बातें करते हैं, उसे देखकर ऐसा लगता हैं की दोस्त बात कर रहे हैं..!
देवेन्द्र ने राज्यव्यवस्थापन के बारे में गहरी सोच विकसित की हैं. देश और विदेश का अनुभव उनके साथ हैं. वह जमीनी कार्यकर्ता हैं. नगरसेवक से मुख्यमंत्री तक उनका यह प्रवास, सीढी-दर-सीढी हुआ हैं. और इसीलिए देवेन्द्र में अपार संभावनाएं छिपी दिखती हैं..!!
- प्रशांत पोल