- प्रशांत पोल

केरल के शिशुपाल का  खात्मा कब होगा..?

वहां के कम्युनिस्ट गुंडों के सौ अपराध

कब पूर्ण होंगे..?

केरल में देशभक्तों की लाशें

और कितने दिन बिछती रहेंगी..?

एक सच्चे भारतीय के दिमाग में

इन प्रश्नों की झडी लग गयी हैं...!

शनिवार की रात को

केरल के #कन्नूर जिले के थिलंकेरी गांव में

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के निष्ठावान स्वयंसेवक

‘पी. बिनीश’ की

अत्यंत बर्बरतापूर्वक तरीके से,

पाशवी पध्दति से

ह्त्या की गई..!

कम्युनिस्ट गुंडों ने पहले तो

देसी बम से बिनीश पर हमला किया...

फिर धारदार चौपर से

बिनीश के शरीर पर अंधाधुंध वार किये..

और खून की नदी में पड़ी उस लाश को

वही छोड़कर वो गुंडे

देसी बम फोड़ते हुए, आतंक मचाते हुए..

भाग निकले...!

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बिनीश का गुनाह क्या था..?

वो रोज संघ की शाखा में जाता था..

अपने राष्ट्र को परम वैभव पर

लेकर जाने के लिए

रोज प्रार्थना करता था...!

मित्रों के साथ खेलता, घुमता था..

यही तो रास नहीं आया,

इन कम्युनिस्ट गुंडों को...

छब्बीस वर्ष के निर्दोष, देशभक्त बिनीश को

जिस क्रूरता के साथ मारा गया,

वह स्पष्ट उदाहरण हैं, इस बात का

की केरल की कम्युनिस्ट सरकार,

केरल में देशभक्तों के खून की

होली खेल रही हैं...!

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इस पच्चीस अगस्त को कन्नूर जिले में ही,

मुझुक्कुंनु गांव में

रा. स्व. संघ के चार स्वयंसेवकों पर

कम्युनिस्ट गुंडों ने

घातक हमला किया था...

चारों स्वयंसेवक गंभीर रूप से जख्मी हुए

इनमे से ‘साजेश’ की हालत

अत्यंत गंभीर हैं..!

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दुर्भाग्य से,

केरल के वामपंथी मुख्यमंत्री ‘पिनाराई विजयन’

मूलतः कन्नूर जिले के हैं.

अपने युवावस्था में वे ऐसी ही

मारपीट के अनेक आरोपों से घिरे रहते थे..

इन पिनाराई विजयन को

सत्तर के दशक के शुरुआत में

संघ स्वयंसेवक ‘वाडीक्कल रामकृष्णन’ की ह्त्या के आरोप में

छह महीने की सज़ा हुई थी..!

संघ की विचारधारा को

जड़ से ख़त्म करने में,

उसके लिए किसी भी स्तर की

हिंसा करने में

विश्वास रखने वाले

पिनाराई विजयन इस समय

केरल के मुख्यमंत्री हैं..!

मानो जल्लाद के हाथों

केरल के राजकाज की चाबी आ गई हैं..!!

वे मुख्यमंत्री बनते ही साथ,

कन्नूर जिले में

राष्ट्रभक्त संघ स्वयंसेवकों की हत्याओं में

गती आई हैं...!

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शर्म आती हैं,

की इस देश की दोगली मीडिया

केरल की इन हत्याओं पर खामोश हैं...!

जहां प्रत्यक्ष मुख्यमंत्री

स्वतः अपने गृह जिले में

अपने विरोधियों की ह्त्या पर

मौन साध रहे हैं..

उलटे अपने कार्यकर्ताओं को

ऐसी हत्याओं के लिए उकसा रहे हैं..

और दुनिया को ‘राजधर्म’ का पाठ पढ़ाने वाले

राजदीप सरदेसाई चुप चाप हैं..

बरखा दत्त भी खामोश हैं..

अरुंधती रॉय, नेहा दीक्षित...

सब कहां गए.. ढूंडने नहीं मिल रहे हैं..

मियां शाहरुख़ तो ऐसी बात पर बोलेंगे ही नहीं.

वही हाल हैं, आमिर भाई का..

ऐसे ‘जल्लादी मानसिकता’ के मुख्यमंत्री के विरोध में

कोई ‘अवार्ड वापिसी’ नहीं हो रही हैं..!

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क्या ऐसे मुख्यमंत्री के खिलाफ

कोई नहीं बोलेगा..?

क्या ऐसी हत्यारी सरकार को

बर्खास्त करना ठीक नहीं होगा..?

क्या देशभक्त नौजवानों का खून

ये कम्युनिस्ट गुंडे

ऐसे ही बहाते रहेंगे..?

- प्रशांत पोल